( क ) गुरु ( गुरु, वि ०, भारी, बडा) , भानु ( सूर्य), इन्दु ( चन्द्रमा) शत्रु ( शत्रु) शिशु ( बालक) , वायु ( वायु) , पशु ( पशु )
तरु ( वृक्ष ), साधु ( सज्जन, सरल, अच्छा, निपुण ) । काण ( काना) , कर्ण ( कान ), बधिर ( बहरा ), पाद ( पैर) , खञ्ज ( लगड़ा ), शब्द् ( शब्द ) , अर्थ ( अर्थ, धन, प्रयोजन ), विवाद ( विवाद) । नेत्रम् ( आखँ) , तृणम् ( तिनका) , सुखम् ( सुख) , दुखम् ( दुख) , प्रयोजनम् ( प्रयोजन) , हसितम्( हँसना) । प्रकृति ( स्वभाव ) ।
( २४ ) ( ग) अलम् ( बस, पर्याप्त, समर्थ, शक्त) ।( १) ।
सूचना ( क) गुरु -- साधु, गुरुवत्। काण -- विवाद, रामवत् । नेत्र --- हसित, गृहवत् ।
प्रकति, मतिवत् ।
व्याकरण ( गुरु विधिलिंङ्ग, तृतीया अनुस्वार संन्धि) ।
१ शब्दरुप --- गुरु शब्द के पुरे रुप स्मरण कर ले । ( देखो शब्द स ० ४ ) संक्षिप्त रुप लगाकर भानु आदि के गुरुवत रुप बनावें ।
सभी उकारान्त् पुलिंग शब्द गुरु के तुल्य चलेंगे । नियम १६ इन शब्दो मे लगेगा ---- गुरु शत्रु, तरु । जैसे ---- गुरुणा, गुरुणाम्, शत्रूणा, शत्रूणाम् ।
२ . धातुरुप -- 'भू ' विधिलिङ् ( आज्ञा या चाहिए अर्थ) संक्षिप्त एक ० द्वि ० बहु ०
भवेत् भवेताम् भवेयुः प्र० पु०
भवेः भवेतम् भवेत् म ० पु०
भवेयम् भवेव भवेम् उ ० पु०
रूप एत् एताम् एयु: प्र ० पु ०
ए एतम् एत म ० पु ०
एयम् एव एम उ ० पु ०
संक्षिप्तरूप लगाकर पठ् आदि के रूप बनावे ।
जैसे --- पठेत्, लिखेत्, गच्छेत्, पश्येत् ।
कारक ( तृतीया, अनुस्वार संन्धि)
* नियम २८---- किम्, कार्यम्, अर्थ, प्रयोजनम् ( चारो प्रयोजन अर्थ मे हो तो) के साथ तृतीया होती हैं ।जैसे मूर्खेण पुत्रेण किम्, किं कार्यम्, कोsर्थ, किं प्रयोजनम् ।
( मूर्ख पुत्र से क्या लाभ या क्या प्रयोजन) तृणेन अपि कार्यं भवति ।
* नियम २९ -- अलम् ( बस, मत) के साथ तृतीया होती हैं ।जैसे --- अल हसितेन ।
( मत हँसो) , अलं विवादेन ( विवाद मत करो) ।
* नियम ३० --- ( येनाङ्गविकार) शरीर के जिस अंग मे विकार से विकृत दिखाई पढ़े,
उसमें तृतीया होती हैं ।जैसे --- नेत्रेण काण ( एक आँख से काणा) , कर्णेन बधिरः ।
* नियम ३१ --( प्रकृत्यादिभ्य उपसख्यानम्) प्रकृति ( स्वभाव) आदि क्रियाविशेषण शब्दो में तृतीया होती हैं ।
प्रकृत्या साधु ( स्वभाव से सरल) सुखेन जीवति ।
दुखेन जीवति । सरलतया लिखति ।
* नियम ३२ -- ( संन्धि) -- ( मोsनुस्वार)
पदान्त ( शब्द के अन्तिम ) म् के बाद कोई हल् ( व्यंजन) हो तो म् को अनुस्वार (-) हो जाता हैं, स्वर बाद में हो तो नहीं ।रामम् + पश्यति =रामं पश्यति।
रामम् + अपश्यत् = राममपश्यत् ।
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