अभ्यास 4
(ख)कृ करना, अस् होना,चुर् चुराना, चिन्त् चिन्तन करना सोचना, कथ् कहना, भक्ष् खाना
(ग)इत्थम् ऐसे, तथा वैसे,यथा जैसे, कथम् कैसे,अपि भी,एव ही,च और,किन्तु किन्तु, परन्तु परन्तु
(घ)एकम् एक, द्वौ दो,त्रय: तीन, चत्वार: चार,पञ्च पाँच, षट् छ: ,सप्त सात,अष्ट आठ, नव नौ,दश दस ।
व्याकरण
1"कृ " करना(लट् लकार, वर्तमान काल)
करोति कुरुत: कुर्वन्ति प्र . पु .
करोषि कुरुथ: कुरुथ म . पु.
करोमि कुर्व: कुर्म: उ . पु.
2"अस् " होना लट्
अस्ति स्त: सन्ति प्र . पु.
असि स्थ: स्थ म . पु.
अस्मि स्व: स्म: उ . पु.
3चुर् आदि धातुओं निम्नलिखित रुप बनाकर "भवति "के तुल्य रुप चलेंगें --------
चुर् चोरयति, चिन्त चिन्तयति, कथ् कथयति, भक्ष् भक्षयति ।
4प्रत्याहार बनाने के लिए इन 14 माहेश्वर सूत्रों को शुद्ध स्मरण कर लें ---------
1अइउण् 2 ऋलृक् 3 एओङ् 4ऐऔच् 5हयवरट् 6लण् 7 ञमङणनम् 8झभञ् 9घढदष् 10जबगडदश 11खफछठथचटतव्
12कपय् 13शषसर् 14हल्
इन सूत्रों में पूरी वर्णमाला इसप्रकार रखी हुई है --पहले स्वर, फिर अन्त:स्थ, फिर क्रमश: वर्ग के पंचम, चतुर्थ,तृतीय,द्वितीय, प्रथम अक्षर, फिर अन्त में उष्म हैं ।
5 प्रत्याहार संक्षेप में कथन को कहते है। इन सूत्र से प्रत्याहार बनाने के नियम यह है---
( क) सूत्र के अंतिम अक्षर (ण् क् आदि) प्रत्याहार में नही गिने जाती है ।अंतिम अक्षर प्रत्याहार बनाने के साधन है
( ख) जो प्रत्याहार बनाना हो तो उसके लिए प्रथम अक्षर सूत्र में जहां हो ,वहां ढूंढना चाहिए । अंतिम अक्षर सूत्र के अंतिम अक्षरों में ढूंढिए । बीच के सारे अक्षर उस प्रत्याहार में माने जाएंगे ।जैसे -अल् प्रत्याहार -अ से लेकर अंत तक । प्रारंभ में अ है अंतिम सूत्र में वे है ।अल् =पूरी वर्णमाला ।अच् अ से ऐऔच् के च तक ,अर्थात् सारे स्वर ।हल् =हयवरट् के ह से हल् के ल् तक, अर्थात् सारे व्यंजन । अक् =अ,इ,उ,ऋ,लृ । इक् =इ,उ,ऋ,लृ ।यण्=य,व,र,ल ।शर् =श, ष, स ।
नियम9- 'च' का प्रयोग उससे एक शब्द के बाद कीजिए । फल और फूल --फलं पुष्पं च ।फलं च पुष्पम्, अशुद्ध है ।
शब्दकोश 75+25=100
(ख)कृ करना, अस् होना,चुर् चुराना, चिन्त् चिन्तन करना सोचना, कथ् कहना, भक्ष् खाना
(ग)इत्थम् ऐसे, तथा वैसे,यथा जैसे, कथम् कैसे,अपि भी,एव ही,च और,किन्तु किन्तु, परन्तु परन्तु
(घ)एकम् एक, द्वौ दो,त्रय: तीन, चत्वार: चार,पञ्च पाँच, षट् छ: ,सप्त सात,अष्ट आठ, नव नौ,दश दस ।
व्याकरण
1"कृ " करना(लट् लकार, वर्तमान काल)
करोति कुरुत: कुर्वन्ति प्र . पु .
करोषि कुरुथ: कुरुथ म . पु.
करोमि कुर्व: कुर्म: उ . पु.
2"अस् " होना लट्
अस्ति स्त: सन्ति प्र . पु.
असि स्थ: स्थ म . पु.
अस्मि स्व: स्म: उ . पु.
3चुर् आदि धातुओं निम्नलिखित रुप बनाकर "भवति "के तुल्य रुप चलेंगें --------
चुर् चोरयति, चिन्त चिन्तयति, कथ् कथयति, भक्ष् भक्षयति ।
4प्रत्याहार बनाने के लिए इन 14 माहेश्वर सूत्रों को शुद्ध स्मरण कर लें ---------
1अइउण् 2 ऋलृक् 3 एओङ् 4ऐऔच् 5हयवरट् 6लण् 7 ञमङणनम् 8झभञ् 9घढदष् 10जबगडदश 11खफछठथचटतव्
12कपय् 13शषसर् 14हल्
इन सूत्रों में पूरी वर्णमाला इसप्रकार रखी हुई है --पहले स्वर, फिर अन्त:स्थ, फिर क्रमश: वर्ग के पंचम, चतुर्थ,तृतीय,द्वितीय, प्रथम अक्षर, फिर अन्त में उष्म हैं ।
5 प्रत्याहार संक्षेप में कथन को कहते है। इन सूत्र से प्रत्याहार बनाने के नियम यह है---
( क) सूत्र के अंतिम अक्षर (ण् क् आदि) प्रत्याहार में नही गिने जाती है ।अंतिम अक्षर प्रत्याहार बनाने के साधन है
( ख) जो प्रत्याहार बनाना हो तो उसके लिए प्रथम अक्षर सूत्र में जहां हो ,वहां ढूंढना चाहिए । अंतिम अक्षर सूत्र के अंतिम अक्षरों में ढूंढिए । बीच के सारे अक्षर उस प्रत्याहार में माने जाएंगे ।जैसे -अल् प्रत्याहार -अ से लेकर अंत तक । प्रारंभ में अ है अंतिम सूत्र में वे है ।अल् =पूरी वर्णमाला ।अच् अ से ऐऔच् के च तक ,अर्थात् सारे स्वर ।हल् =हयवरट् के ह से हल् के ल् तक, अर्थात् सारे व्यंजन । अक् =अ,इ,उ,ऋ,लृ । इक् =इ,उ,ऋ,लृ ।यण्=य,व,र,ल ।शर् =श, ष, स ।
नियम9- 'च' का प्रयोग उससे एक शब्द के बाद कीजिए । फल और फूल --फलं पुष्पं च ।फलं च पुष्पम्, अशुद्ध है ।
शब्दकोश 75+25=100
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