Sanskrit vyakaran

Saturday, 9 April 2016

अभ्यास

अभ्यास १
(क) सः=वह, तौ =वे दोनों, ते =वे सब, भवान् =आप, भवती =आप(स्त्री.),रामः =राम, ईश्वरः =ईश्वर, मनुष्यः =मनुष्य ,नरः= नर(मनुष्य),ग्रामः=गाँव, नृपः=राजा, विद्यालयः =विद्यालय ।
(ख)भू= होना, पठ् =पढ़ना, लिख्= लिखना, हस् =हँसना, गम् =जाना, आगम् =आना,
(ग) अत्र =यहाँ,इह =यहाँ, यत्र= जहाँ, तत्र= वहाँ, कुत्र =कहाँ, क्व= कहाँ ।
शब्दकोश---25
सूचना शब्दकोश के लिए ये संकेत स्मरण कर लें --------
(क)=संज्ञा या सर्वनाम शब्द ।
(ख)=धातु या क्रिया शब्द ।
(ग)=अव्यय या क्रिया विशेषण ।
(घ)=विशेषण शब्द ।
व्याकरण(लट्,परस्मैपदी,कर्तृवाच्य)
१ रामः रामौ रामाः (प्रथमा,कर्ता कारक)
  रामम् रामौ रामान्(द्वि.कर्म कारक)
संक्षिप्तरुप अः औ आः
             अम् औ आन्

संक्षिप्तरुप शब्द के अन्त में लगेगा ।
जैसे बालकः बालकौ बालकाः आदि ।
२"भू " 'लट् 'लकार (वर्तमानकाल)
 भवति  भवतः  भवन्ति  प्रथमपुरुष
संक्षिप्तरुप
अति अतः अन्ति ।
संक्षिप्तरुप लगा अन्य धातुओं को रुप बनाईये,जैसे पठति पठतःपठन्ति आदि ।

नियम१  --कर्ता के अनुसार क्रिया का वचन और पुरुष होता है ।जैसे सः पठति ।कर्ता प्रथम पुरुष एकवचन है तो क्रिया भी प्रथमपुरुष एकवचन होगी ।
२ "भवत् "आप)शब्द के साथ सदा प्र.पु.आता है ।
३ तीनों लिंगों में धातुओं का रुप वही रहता है ।
४ कर्ता में प्रथमा और कर्म में द्वितीया आती है ।
५ "अपदं न प्रयुञ्जीत" बिना प्रत्यय लगाये शब्द या धातु का प्रयोग न करें ।
६ एक अर्थवाले शब्दों में से एक शब्द का ही प्रयोग करें ।

क्रमश:...........................

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