अभ्यास 3
(क)अहम् मैं,आवाम् हम दोनों, वयम् हम सब, रमा लक्ष्मी,बाला लड़की,कन्या लड़की,कथा कथा कहानी, क्रीडा खेल, लता लता,पाठशाला पाठशाला, विद्या विद्या ।
(ख)दृश् देखना, स्था रुकना, सद् बैठना, पा पीना, घ्रा सूंघना,स्मृ स्मरण करना, जि जीतना ।
(ग)इत: यहाँ से,तत: वहाँ से,यत: जहाँ से,कुत: कहाँ से,कथम् क्यों कैसे, न नहीं ,किम् क्या ।
व्याकरण
रमा रमे रमा: (कर्ता कारक प्र. वि.)
रमाम् रमे रमा: (कर्म कारक द्वि .वि.)
संक्षिप्त रुप
आ ए आ:
आम् ए आ:
बाला आदि के रुप संक्षिप्त रुप लगाकर बनाईये ।
"भू "लट् लकार उत्तम पुरुष
भवामि भवाव: भवाम:
संक्षिप्त रुप
आमि आव: आम:
विशेष ---दृश् का पश्य से रुप बनेगा ।पश्यामि ।
स्था -तिष्ठ तिष्ठामि ।
सद् -सीद् ,पा -पिब्, घ्रा -जिघ्र, गम् -गच्छ, स्मृ -स्मर, जि -जय ।
शब्दकोश 50+25=75
(क)अहम् मैं,आवाम् हम दोनों, वयम् हम सब, रमा लक्ष्मी,बाला लड़की,कन्या लड़की,कथा कथा कहानी, क्रीडा खेल, लता लता,पाठशाला पाठशाला, विद्या विद्या ।
(ख)दृश् देखना, स्था रुकना, सद् बैठना, पा पीना, घ्रा सूंघना,स्मृ स्मरण करना, जि जीतना ।
(ग)इत: यहाँ से,तत: वहाँ से,यत: जहाँ से,कुत: कहाँ से,कथम् क्यों कैसे, न नहीं ,किम् क्या ।
व्याकरण
रमा रमे रमा: (कर्ता कारक प्र. वि.)
रमाम् रमे रमा: (कर्म कारक द्वि .वि.)
संक्षिप्त रुप
आ ए आ:
आम् ए आ:
बाला आदि के रुप संक्षिप्त रुप लगाकर बनाईये ।
"भू "लट् लकार उत्तम पुरुष
भवामि भवाव: भवाम:
संक्षिप्त रुप
आमि आव: आम:
विशेष ---दृश् का पश्य से रुप बनेगा ।पश्यामि ।
स्था -तिष्ठ तिष्ठामि ।
सद् -सीद् ,पा -पिब्, घ्रा -जिघ्र, गम् -गच्छ, स्मृ -स्मर, जि -जय ।
शब्दकोश 50+25=75
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